सिरोही के चौहान : सिरोही के चौहानवंश की स्थापना ‘राव लूम्बा’ ने की थी, जो जालौर की देवड़ा शाखा से सम्बन्धित था। इसलिए सिरोही के चौहानों को ‘देवड़ा चौहान’ कहा जाता है।
- प्राचीन साहित्य में सिरोही को ‘अर्बुद प्रदेश कहा गया है। कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार सिरोही का मूल नाम ‘शिवपुरी‘ था।
- देवड़ा चौहानों के कुलदेव ‘सारणेश्वर महादेव‘ हैं।
राव लूम्बा
- राव लूम्बा ने 1311 ई. में परमारों से आबू व चन्द्रावती (सिरोही) छीनकर अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित की थी।
- इसने 1320 ई. में अचलेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। 1321 ई. में राव लूम्बा की मृत्यु हो गई।
- इसके बाद तेज सिंह, कान्हड़देव, सामन्तसिंह, सलखा और रायमल शासक बने। इन शासकों की राजधानी कभी चन्द्रावती और कभी अचलगढ़ रही।
शिवभान (1392-1424 ई.)
- रायमल के पुत्र शिवभान ने चन्द्रावती पर लगातार मुस्लिम आक्रमणों के कारण सरणवा पहाड़ियों पर एक दुर्ग बनवाया और 1405 ई. में शिवपुरी नामक नगर बसाया।
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सहसमल (1424-1451 ई.)
- शिवभान के उत्तराधिकारी सहसमल ने 1425 ई. में सिरोही बसाकर उसने अपनी राजधानी बनाया।
- राणा कुम्भा ने सहसमल को पराजित किया और इस विनर उपलक्ष्य में अचलगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया।
लाखा (1451-1483 ई.)
- मेवाड़ के शासक ऊदा (कुम्भा का पुत्र) के शासनकाल में लाखा ने आबू पर पुनः अधिकार कर लिया। उसने पावागढ़ से कालिका माता की मूर्ति लाकर सिरोही में स्थापित की और लाखनाव तालाब बनवाया।
जगमाल (1483-1523 ई.)
- इसने बहलोल लोदी के मेवाड़ आक्रमण के समय महाराणा रायमल का साथ दिया था।
- जालौर के मलिक मजीद खाँ को हराकर उससे कर वसूला। इसने कुँवर पृथ्वीराज (महाराणा रायमल का पुत्र) को जहर देकर मार दिया था।
अखैराज देवड़ा प्रथम (1523-1533 ई.)
- अखैराज देवड़ा ने 1527 के खानवा युद्ध में महाराणा सांगा का साथ दिया। ये तेज गति से आक्रमण करने के कारण उड़ना अखैराज‘ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
राव रायसिंह (1533-1534 ई.)
- अखैराज का पुत्र था। चित्तौड़ पर बहादुरशाह के आक्रमण के समय महाराणा विक्रमादित्य भी सहायता के लिए चित्तौड़ गया था। इस आक्रमण में राव रायसिंह वीरगति को प्राप्त हुआ।
- इसके बाद दुदा, उदयसिंह, मानसिंह व सुरतान सिरोही के शासक हुए।
सुरतान देवड़ा (1571-1610 ई.)
- इसने 1575 ई. में अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली। 1583 ई. के दत्ताणी के युद्ध में महाराणा प्रताप के भाई जगमाल को परास्त कर मार दिया।
- इसके बाद क्रमशः रायसिंह द्वितीय , अखैराज द्वितीय, उदयभान, बैरीसाल, छत्रसाल, सुरतान द्वितीय, मानसिंह, पृथ्वीराज, जगतसिंह, बैरीसाल द्वितीय, उदयभान द्वितीय शासक बने।
शिवसिंह (1818-1832 ई.)
- इसने 11 सितम्बर 1823 को अंग्रेजों से संधि कर ली। अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली सिरोही राजस्थान की अंतिम रियासत थी।
- इसके बाद क्रमशः उम्मेदसिंह (1832-1874 ई.), केसरी सिंह (1875-1920 ई.), स्वरूपसिंह (1920-1946 ई.), तेजसिंह (1946-1950 ई.) व अभयसिंह (1950 ई.) सिरोही के शासक रहे।
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