सामाजिक अध्ययन की संकल्पना | Social Studies Concept

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सामाजिक अध्ययन की संकल्पना | Social Studies Concept : नमस्कार दोस्तों हमारी वेबसाइट www.exameguru.in पर आप सभी का स्वागत है आज की इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी के लिए REET Level – 2 सामाजिक अध्ययन विषय के लिए सामाजिक शिक्षण विधियों के नोट प्रस्तुत कर रहे हैं यह सभी नोट्स REET Level – 2  सामाजिक अध्ययन के विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है

इन नोट्स की पीडीएफ फाइल को डाउनलोड करने के लिए इस पोस्ट के अंत में एक लिंक दिया गया है साथ ही इस टॉपिक से संबंधित 70 महत्वपूर्ण प्रश्न भी दिए गए हैं इन सभी प्रश्नों के निचे Show Answer का बटन लगा हुआ है जिस पर क्लिक करके उस प्रश्न का सही उत्तर देख सकते हो और इस पोस्ट के अंत में पीडीऍफ़ डाउनलोड का बटन लगा हुआ है जिस पर क्लिक करके पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हो नोट्स और प्रश्न अच्छे लगे तो दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए

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सामाजिक अध्ययन की संकल्पना | Social Studies Concept

इस विषय का आरम्भ करने का श्रेय संयुक्त राज्य अमेरिका को दिया जाता है। प्रारम्भ में ‘सामाजिक अध्ययन विषयों के उस समूह के लिए नाम दिया गया, जिसमें इतिहास, अर्थशास्त्र तथा राजनीति शास्त्र सम्मिलित थे।

यह नामकरण 1892 ई. में किया गया। बाद में इस समूह में समाजशास्त्र को और जोड़ा गया, परन्तु ‘सामाजिक अध्ययन’ के इस स्वरूप को सरकार की ओर से मान्यता 1916 ई. में प्राप्त हुई।

1916 ई. में ‘कमेटी ऑन द सोशल स्टडीज ऑफ सैकण्डरी एजुकेशन’ के प्रतिवेदन में इस विषय को मान्यता दी गई और उसे एक स्वतन्त्र अध्ययन के रूप में स्वीकार करने का सुझाव दिया गया।

1921 ई. में विषय के सम्बन्ध में विस्तृत अध्ययन करने के लिए अमेरिका में ‘राष्ट्रीय विकास परिषद का निर्माण किया गया। इस परिषद ने विभिन्न विषयों के समन्वित रूप की सम्भावनाओं का गहन अध्ययन किया।

1934 ई. में सोशल स्टडीज’ पर एक कमीशन की नियुक्ति की गई। इसी कमीशन ने इसके विकास पर अनेक सुझाव दिए। इसके उपरान्त इस क्षेत्र में बहुत से अनुसंधान कार्य हुए, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक अध्ययन के एकीकृत स्वरूप का विकास हुआ और इसको एक क्षेत्रीय अध्ययन के रूप में मान्यता दी गई ।

अमेरिकी विद्यालयों में 1920 से 1925 का समय ‘सामाजिक अध्ययन’ का स्वर्णकाल माना जाता है। वर्तमान समय में वहाँ स्वतन्त्र अध्ययन कार्यक्रम एवं सामाजिक ज्ञान कार्यक्रमों में सामाजिक रूप से सम्मिलित होने पर अधिक बल दिया जा रहा है।

भारत में सामाजिक अध्ययन का विकास | Development of Social Studies in India

यद्यपि सामाजिक अध्ययन/सामाजिक ज्ञान की बात संसार

के अन्य देशों में 20वीं सदी के दूसरे दशक से प्रारम्भ हो गई थी पर भारतवर्ष में इस विषय का विद्यालयी पाठ्यक्रम में समावेश काफी  विलम्ब से हुआ।

मैकाले भारत में शिक्षित लोगों का ऐसा वर्ग उत्पन्न करना चाहता था जो पाश्चात्य शिक्षा में पलकर अपने देश की जनता से  अलग हो जाए और जो उन्हें भविष्य में सहायता देता रहे।

गाँधीजी की शिक्षा योजना और सामाजिक ज्ञान | Gandhiji Education Plan & Social Knowledge

देश की शिक्षा को गाँधी जी के विचारों ने उसी प्रकार प्रभावित किया, जिस प्रकार जॉन ड्यूवी ने अमेरिका की शिक्षा नीति को प्रभावित किया था।

महात्मा गाँधी ने अपनी नई शिक्षा योजना प्रस्तुत करते हुए वर्धा सम्मेलन में सभापति पद से भाषण देते हुए कहा, “मैं तो ऐसी -शिक्षा देने का मार्ग प्रशस्त कर रहा हूँ, जो बच्चों को स्वावलम्बी -और आत्मनिर्भर बनाए।”

माध्यमिक शिक्षा आयोग, 1952

माध्यमिक शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण स्वामी मुदालियर को बनाया गया। आप मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति थे।

माध्यमिक शिक्षा आयोग का मुख्य उद्देश्य

माध्यमिक शिक्षा की समस्याओं पर विचार करने के लिए इस आयोग ने छात्रों को सामाजिक वातावरण के अनुकूलन कराने के लिए इस विधि का अध्यापन अनिवार्य किया और सामाजिक ज्ञान के स्वरूप को स्पष्ट किया।

कोठारी आयोग, 1964-66 

1964 में डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में एक शिक्षा आयोग का गठन किया गया, जिसे कोठारी आयोग के नाम से जाना गया।

कोठारी आयोग का मुख्य उद्देश्य

विद्यालयी शिक्षा के प्रत्येक पहलू पर विचार करना था। कोठारी आयोग ने 1966 ई. में अपनी सिफारिश प्रस्तुत की। कोठारी आयोग की सिफारिशों पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद, दिल्ली ने सन् 1975 में एक पाठ्यक्रम का ढाँचा तैयार किया। इसमें सामाजिक ज्ञान और सामान्य विज्ञान के एकीकृत रूप को पर्यावरण अध्ययन नाम दिया गया।

पर्यावरण अध्ययन-1 [कक्षा 1 एवं 2 ] में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानवजन्य परिवेश को रखा गया।

पर्यावरण अध्ययन-2 [ कक्षा 3, 4 एवं 5 ] में भौतिक और प्राकृतिक परिवेश को रखा गया।

पर्यावरण अध्ययन-3 [कक्षा 6, 7 एवं 8 ] में मानव अध्ययन, उसके समय, स्थान और अन्य मानव से सम्बद्ध होकर इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र के रूप में प्रस्तुत किया गया।

अत: इस स्तर पर सामाजिक ज्ञान पृथक विषयों के रूप में पढ़ाया जाने लगा पर यहाँ भी मानव जीवन की सम्पूर्णता पर ही, बल दिया गया।

वर्तमान समय में इस बात की अति आवश्यकता है कि नए अनुभवों एवं नए अन्वेषणों के आधार पर नए सामाजिक ज्ञान की प्रस्थापना की जाए जो स्वतन्त्र चिन्तन सामाजिक समस्याओं को समझने और समाधान ढूँढ सकने की व्यावहारिक दक्षताओं तथा तद्विषयक ज्ञान को प्राप्त करने में समर्थ हो सके।

सामाजिक अध्ययन का अर्थ | Meaning of Social Study

सामाजिक अध्ययन दो शब्दों ‘सामाजिक’ तथा ‘अध्ययन’ से मिलकर बना है। सामाजिक का अर्थ समाज के लिए अथवा समाज द्वारा अर्थात् समाज द्वारा समाज के लिए अध्ययन।

एक अन्य अर्थ – सामाजिक अध्ययन का अर्थ मानव का सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन है। यह एक ऐसा विषय है जिसमें मानवीय सम्बन्धों का उसके समाज में विभिन्न दृष्टिकोणों से अध्ययन किया जाता है।

सामाजिक अध्ययन की परिभाषाएँ | Definitions of Social Study

  1. जे.एफ. फारेस्टरमहोदय के अनुसार, “सामाजिक अध्ययन उस समाज का अध्ययन है, जिसमें रहकर छात्रों का सर्वांगीण विकास होता है।”
  2. जेम्स हामिंग महोदय के अनुसार, “सामाजिक अध्ययन ऐतिहासिक, भौगोलिक तथा सामाजिक सम्बन्धों तथा अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन है।”
  3. मोफात के अनुसार, “जीने की कला बड़ी सुन्दर कला है। सामाजिक अध्ययन द्वारा ही यह ज्ञान प्राप्त होता है।”
  4. विस्ले के अनुसार, “सामाजिक अध्ययन सामाजिक विद्वानों के आधारभूत तत्वों का अध्ययन है।”
  5. NCERT के अनुसार, “सामाजिक अध्ययन मनुष्यों तथा सामाजिक एवं भौतिक वातावरणों के प्रति उनको प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है।”  

सामाजिक अध्ययन की विशेषताएँ | Charateristics of Social Study

  • सामाजिक अध्ययन की विषय-वस्तु का केन्द्र बिन्दु मानव है
  • सामाजिक अध्ययन मनुष्यों एवं उनके समुदायों का अध्ययन है
  • सामाजिक अध्ययन छात्र-छात्राओं को उस वातावरण को समझाने तथा उसकी व्याख्या करने में सहायता प्रदान करता है, जिसमें वे जन्म लेते हैं और विकसित होते हैं।
  • यह मानवीय सम्बन्धों पर बल देता है।
  • सामाजिक अध्ययन छात्र-छात्राओं को उनके सम-सामयिक घटनाओं एवं उसकी समस्याओं को समझने में सहायता करता है।
  • सामाजिक अध्ययन सामाजिक संस्थाओं की उत्पत्ति एवं विकास की जानकारी प्रदान करता है। सामाजिक अध्ययन का उद्देश्य मानव कल्याण तथा पारस्परिक सहयोग एवं विश्व शान्ति तथा शक्ति जैसी महान् विचारधाराओं को समर्थन एवं बल प्रदान करता है।
  • सामाजिक अध्ययन इस तथ्य को स्पष्ट करता है कि मानव स्थानीय, राष्ट्रीय तथा विश्व में आर्थिक, सामाजिक एवं , राजनैतिक रूप में अन्योन्याश्रित है।
  • सामाजिक अध्ययन ज्ञान के समग्र क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
  • सामाजिक अध्ययन विषयों के विभाजन की कठोरता को समाप्त करके ज्ञान सापेक्षता पर बल देता है। सामाजिक अध्ययन उत्तम नागरिकता के विकास में सहायता प्रदान करके जनतन्त्र को सफल एवं सुरक्षित बनाने में सहायक है।
  • सामाजिक अध्ययन मानव एवं उसके वातावरण (सामाजिक और भौतिक) के बीच होने वाली अन्तःक्रिया का अध्ययन करता है।

सामाजिक अध्ययन की प्रकृति | Nature of Social Study

सामाजिक अध्ययन एक ऐसा विस्तृत, व्यापक एवं विशिष्ट विषय है, जिसकी प्रकृति सामाजिक एवं विशाल है। यही कारण है कि सामाजिक अध्ययन को विद्यालय स्तर पर अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है।

सामाजिक अध्ययन सामान्य शिक्षा का अभिन्न अंग है, लेकिन यह चिन्तनीय है कि सामाजिक अध्ययन विषय को शिक्षा को अभिन्न अंग बने हुए लगभग 32 वर्ष हो चुके हैं। शिक्षक इन्हें पढ़ाते समय इतिहास तथा भूगोल को भिन्न-भिन्न विषय के रूप में पढ़ाते हैं। कभी भी सामाजिक तथा भौगोलिक परिस्थितियों को जोड़कर नहीं पढ़ाते।

सामाजिक अध्ययन विभिन्न विषयों का मिश्रण नहीं है अपितु यह एक अलग विषय है, जो मानवीय सम्बन्धों तथा भौगोलिक वातावरण के सामंजस्य की जानकारी प्रदान करता है।

भारत में माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-53) ने सामाजिक अध्ययन के एकीकृत स्वरूप पर बल दिया है । इसके सम्बन्ध में लिखा है कि “इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र एवं नागरिक शास्त्र आदि को एक पूर्ण इकाई के रूप में देखना चाहिए।”

सामाजिक अध्ययन की प्रकृति को निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन,
  2. मानवीय सम्बन्धों का अध्ययन,
  3. सामाजिक प्राणी के रूप में मानव का अध्ययन,
  4. सामाजिक एवं भौगोलिक वातावरण का अध्ययन
  5.  सामाजिक अध्ययन : एकीकृत उपागम
  6. क्षेत्रीय अध्ययन

मानवीय सम्बन्धों का अध्ययन | Study of Human Relations

सामाजिक अध्ययन मानवीय सम्बन्धों पर बल देता है। इसके अन्तर्गत मानवीय सम्बन्धों की विवेचना की जाती है। मानवीय सम्बन्धों से तात्पर्य उन सम्बन्धों से है, जो व्यक्ति और समुदाय, संस्था आदि के बीच स्थिर रहते हैं।

व्यक्ति के निजी सम्बन्ध पारस्परिक एवं सामूहिक सम्बन्ध भी सामाजिक अध्ययन के अन्तर्गत ही आते हैं, अतः इस प्रकार स्पष्ट है कि सामाजिक अध्ययन व्यक्ति के पारस्परिक सम्बन्ध का अध्ययन क्षेत्र है, जिसमें मानवीय सम्बन्धों एवं उनके स्पष्टीकरण हेतु विभिन्न पर्यावरणों का अध्ययन किया जाता है।

इसके सम्बन्ध में ई.बी. वेस्ले ने स्पष्ट रूप में लिखा है-सामाजिक अध्ययन नामक पद उन विद्यालय विषयों की ओर संकेत देता है, जो मानवीय सम्बन्धों का विवेचन करते हैं। यह अध्ययन क्षेत्र, विषयों का एक समूह तथा पाठ्यक्रम के एक खण्ड का निर्माण करता है । यह खण्डं वह  है, जो प्रत्यक्ष रूप से मानवीय सम्बन्धों से सम्बन्धित होते हैं।

मानवीय जीवन का अध्ययन | Study of Human Life

सामाजिक अध्ययन एक ऐसा विषय है, जिसमें मानवीय जीवन का अध्ययन उसके सामाजिक पर्यावरण के सन्दर्भ में करता है।

सामाजिक प्राणी के रूप में मानव का अध्ययन | The Study of Humans as SocialAnimals

सामाजिक अध्ययन एक ऐसा विषय है, जो मानव का सामाजिक प्राणी के रूप में अध्ययन करता है। इसकी प्रकृति एवं विषय-वस्तु मानवीय  समाज के संगठन एवं विकास से सम्बन्धित है। इसके सम्बन्ध में राष्ट्रीय शैक्षिक समुदाय आयोग का कथन है कि, “सामाजिक अध्ययन वह विषय-वस्तु है, जो मानव समाज के संगठन एवं  विकास से सम्बन्धित है और मनुष्य के सामाजिक समूहों के सदस्य  के रूप में अध्ययन करती है।”

सामाजिक एवं भौगोलिक वातावरण काअध्ययन | Study of Social and Geography Environment

सामाजिक अध्ययन वह विषय है, जो सामाजिक एवं भौगोलिक वातावरण की विवेचना करता है। यह मानव और उसके सामाजिक तथा भौगोलिक वातावरण की विस्तृत विवेचना एवं व्याख्या करता है।

जॉन यू. माइकेलिस महोदय के अनुसार, “सामाजिक अध्ययन का कार्यक्रम मनुष्य तथा अतीत, वर्तमान तथा विकसित होने वाले भविष्य के सामाजिक और भौतिक पर्यावरणों के प्रति उनके द्वारा की गई पारस्परिक क्रिया का अध्ययन है।”

इस कथन की पुष्टि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद द्वारा प्रकाशित पत्रिका. Teaching Social Studies’ के अनुसार “स्पष्ट होता है कि “सामाजिक अध्ययन लोगों तथा सामाजिक एवं भौतिक वातावरण के प्रति उनकी पारस्परिक क्रिया से सम्बन्धित है।”

सामाजिक अध्ययन-एकीकृत उपागम | Social Studies Integrated Approach

सामाजिक अध्ययन के सम्बन्ध में अनेक भ्रमात्मक विचारधाराएँ प्रचलित हैं। इस विचारधारा के अनुसार व्यक्ति इसे इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र/नागरिक शास्त्र तथा अर्थशास्त्र का योग मानते हैं। वस्तुतः सामाजिक अध्ययन इनका सामूहिक नाम नहीं वरन् इनसे अपनी पूर्ण एवं पर्याप्त सामग्री प्राप्त कर मानवीय सम्बन्धों को स्पष्ट एवं विवेचित करने वाला एक विषय है। सामाजिक अध्ययन न केवल पूर्णतः एक नवीन विषय है वरन् शिक्षा के क्षेत्र में एक नवीन विचारधारा है।

क्षेत्रीय अध्ययन | Field Study

सामाजिक अध्ययन मानवीय सम्बन्धों की विवेचना करता है। इसकी विषय वस्तु मानवीय समाज के संगठन एवं विकास से सम्बन्धित है। साथ ही यह सामाजिक समूहों एवं संगठन के सदस्य के रूप में मानव का अध्ययन करता है। इसके सम्बन्ध में एम.पी. मोफात ने लिखा है कि “सामाजिक अध्ययन वह क्षेत्र है, जो युवकों को उस ज्ञान, सूचना तथा क्रियात्मक अनुभवों के द्वारा सहायता प्रदान करता है, जो मूलभूत मूल्यों, वांछित आदतों, स्वीकृत वृत्तियों तथा इन महत्त्वपूर्ण कौशलों के निर्माण के लिए आवश्यक है, जिनको प्रभावी नागरिकता का आधार माना जाता है।”

सामाजिक अध्ययन का महत्त्व | Importance of Social Studies

  • स्वतन्त्रता से पूर्व शिक्षा पूर्णतः पुस्तकीय तथा सूचनात्मक  थी।
  • शिक्षा मूल रूप में जीविकोपार्जन के उद्देश्यों से प्रभावित थी।
  • परिणामस्वरूप केवल भाषा गणित तथा भौतिक विज्ञान की शिक्षा को महत्त्व प्रदान किया जाता था तथा सामाजिक विषयों की उपेक्षा की जाती थी, क्योंकि उनका कोई व्यावसायिक महत्त्व नहीं था।

आज के युग में सामाजिक अध्ययन में शिक्षा के महत्त्व को  दो भागों में विभाजित किया जा सकता है  

(i) सामाजिक दृष्टि से सामाजिक अध्ययन का महत्त्व, 

(ii) वैयक्तिक दृष्टि से सामाजिक अध्ययन का महत्त्व।

सामाजिक दृष्टि से सामाजिक अध्ययन का  महत्त्व

सामाजिक दृष्टि से सामाजिक अध्ययन का निम्नांकित  महत्त्व है 1. इसका अध्ययन छात्रों में स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक है।

2. यह सहयोग की भावना विकसित करता है।

3. देश की विरासत तथा संस्कृति के लिए प्रेम, सम्मान एवं श्रद्धा जाग्रत करता है।

4. यह सामाजिक जागरुकता तथा अन्तरराष्ट्रीय सद्भावना विकसित करता है।

5. सामाजिक अध्ययन पूर्व द्वेषों तथा पूर्वाग्रहों को दूर करके व्यापक दृष्टिकोण के विकास में सहायता प्रदान करता है।

वैयक्तिक दृष्टि से सामाजिक अध्ययन का महत्त्व

वैयक्तिक दृष्टि से सामाजिक अध्ययन का निम्नलिखित  बिन्दुओं के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है

1. सामाजिक चरित्र का निर्माण-इसके अध्ययन के द्वारा व्यक्ति में विभिन्न सामाजिक गुणों का विकास किया जाता है। सहयोग, सहकारिता, सहिष्णुता, निष्पक्षता आदि गुण सामाजिक चरित्र के निर्माण में आधार का कार्य करते हैं।

2. विभिन्न सामाजिक आदतों तथा कुशलताओं का विकास किया जाता है।

3. व्यक्ति की मानसिक शक्तियों तथा मानवीय सम्बन्धों पर बल देता है।

4. व्यक्ति व्यावहारिक समस्याओं के समाधान के लिए तैयार किया जाता है।

5. व्यक्ति को अपने वातावरण में व्यस्थित होने के लिए समर्थ बनाया जाता है।

सामाजिक अध्ययन की संकल्पना | Social Studies Concept वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. सामाजिक अध्ययन का अर्थ है

(1) सांस्कृतिक वातावरण का अध्ययन

(2) समाज का अध्ययन

(3) प्राकृतिक वातावरण का अध्ययन

(4) मानव एवं उसके वातावरण का अध्ययन

सही उत्तर :- (4) मानव एवं उसके वातावरण का अध्ययन


2. सामाजिक अध्ययन मानवीय सम्बन्धों का अध्ययन है। उक्त परिभाषा है

(1) वेस्ले

(2) जीरोलिक

(3) किलपैट्रिक

(4) एन.सी.ई.आर.टी.

सही उत्तर :- (2) जीरोलिक


3. सामाजिक विज्ञान को सर्वप्रथम किस देश में प्रारम्भ किया गया?

(1) इंग्लैण्ड

(2) यूनान

(3) संयुक्त राज्य अमेरिका

(4) भारत

सही उत्तर :- (3) संयुक्त राज्य अमेरिका


4. सामाजिक अध्ययन के बारे में किस आयोग ने विचार किया?

(1) मुदालियर आयोग

(2) कोठारी आयोग

(3) 1 एवं 2 दोनों

(4) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर :- (2) कोठारी आयोग


5. निम्न में से सामाजिक अध्ययन का आधार है

(1) सामाजिक आधार

(2) मनोवैज्ञानिक आधार

(3) दार्शनिक आधार

(4) उपरोक्त सभी

सही उत्तर :- (4) उपरोक्त सभी


6. सामाजिक अध्ययन की प्रकृति है

(1) सामाजिक विषयों का एकीकृत अध्ययन है

(2) मानव संबंधों का अध्ययन

(3) मानव जीवन का अध्ययन

(4) उपरोक्त सभी

सही उत्तर :- (4) उपरोक्त सभी


7. सामाजिक अध्ययन विषय में चर्चा होती है

(1) प्रकृति संबंधों की

(2) मानव संबंधों की

(3) पर्यावरण की

(4) उपर्युक्त सभी

सही उत्तर :- (4) उपर्युक्त सभी


8. कक्षा 9 से 10 तक में सामाजिक अध्ययन को नाम दिया गया

(1) सामान्य अध्ययन

(2) सामान्य ज्ञान

(3) सामाजिक विज्ञान

(4) समाज विज्ञान

सही उत्तर :- (3) सामाजिक विज्ञान


9. कक्षा 6 से 8 तक सामाजिक अध्ययन को कहा जाता है

(1) समाज शास्त्र

(2) लोकशास्त्र .

(3) पर्यावरण अध्ययन

(4) सामाजिक अध्ययन

सही उत्तर :- (4) सामाजिक अध्ययन


10. कक्षा 3 से 5 तक सामाजिक अध्ययन को क्या नाम दिया

गया?

(1) पर्यावरण अध्ययन

(2) सामाजिक अध्ययन

(3) पर्यावरण विज्ञान

(4) समाज विज्ञान

सही उत्तर :- (1) पर्यावरण अध्ययन


11. सामाजिक विज्ञान/अध्ययन का सही अर्थ है

(1) समाज का अध्ययन

(2) प्राकृतिक वातावरण का ज्ञान

(3) सांस्कृतिक वातावरण का अध्ययन

(4) मानव व उसके वातावरण का अध्ययन

सही उत्तर :- (4) मानव व उसके वातावरण का अध्ययन


12. सामाजिक अध्ययन का संबंध है–

(1) भूगोल से

(2) इतिहास से

(3) नागरिक शास्त्र से

(4) उपरोक्त सभी से

सही उत्तर :- (4) उपरोक्त सभी से


13. छात्र के पूर्व ज्ञान पर आधारित शिक्षण सूत्र है

(1) सुगम से कठिन

(2) स्थूल से सूक्ष्म

(3) उपर्युक्त दोनों

(4) ज्ञात से अज्ञात

सही उत्तर :- (4) ज्ञात से अज्ञात


14. शिक्षण के लक्ष्य हैं

(1) उत्तम नागरिकता

(2) अपनत्व

(3) (1) व (2) दोनों

(4) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर :- (3) (1) व (2) दोनों


15. शिक्षण का मनोवैज्ञानिक शिक्षण सूत्र है

(1) विश्लेषण का सूत्र

(2) पूर्व से अंश का सूत्र

(3) मनोवैज्ञानिक से तार्किक का सूत्र

(4) उपयुक्त सभी

सही उत्तर :- (3) मनोवैज्ञानिक से तार्किक का सूत्र


16. आवृत्ति सिद्धांत का गुण है

(1) दोहरान

(2) कण्ठस्थता

(3) आत्मसात होना

(4) उपर्युक्त सभी

सही उत्तर :- (4) उपर्युक्त सभी


17. सी.ए. एडविन के अनुसार सामाजिक अध्ययन शिक्षण का प्राप्य उद्देश्य है

(1) ज्ञान एवं अवबोध

(2) वांछित वृत्ति विकास

(3) आधारभूत कुशलता का विकास

(4) उपरोक्त सभी

सही उत्तर :- (1) ज्ञान एवं अवबोध


18. सामाजिक अध्ययन का विषय किस सिद्धान्त पर आधारित

(1) ज्ञान एक इकाई है

(2) ज्ञान समाज का आधार है

(3) ज्ञानहीन मानव सामाजिक नहीं

(4) इनमें से कोई नहीं

सही उत्तर :- (2) ज्ञान समाज का आधार है


19. निम्नलिखित में जनतांत्रिक नागरिकता की शिक्षा का अंग है –

(1) आर्थिक परीक्षण/प्रशिक्षण

(2) सामाजिक प्रशिक्षण

(3) राजनीतिक प्रशिक्षण

(4) ये सभी

सही उत्तर :- (2) सामाजिक प्रशिक्षण


सामाजिक अध्ययन की संकल्पना | Social Studies Concept

20. शैक्षिक अनुसंधान विश्वकोष के अनुसार सामाजिक अध्ययन का अर्थ है

(1) विभिन्न समाज विज्ञानों से प्राप्त विषय वस्तु

(2) विभिन्न समाज विज्ञानों का योग’

(3) विभिन्न समाज विज्ञानों का समन्वित रूप ।

(4) विभिन्न समाज विज्ञानों से प्राप्त महत्वपूर्ण सामग्री द्वारा मानवीय संबंधों को स्पष्ट करने का ढंग

सही उत्तर :- (4) विभिन्न समाज विज्ञानों से प्राप्त महत्वपूर्ण सामग्री द्वारा मानवीय संबंधों को स्पष्ट करने का ढंग


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सामाजिक अध्ययन की संकल्पना

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